Betul News: बैतूल। ग्राम मानी, तहसील आठनेर निवासी गोण्डेलाल वल्द नाथु वल्द गेन्दा ने एसडीएम के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि ग्राम पीपला की खसरा संख्या 30, 28, 41 की भूमि उनके दादा गेन्दा पिता झिलक्या के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज थी। परंतु, कुछ कारणवश यह भूमि अन्य व्यक्तियों के नाम पर दर्ज हो गई है। गोण्डेलाल ने आरोप लगाया है कि मुआवजा वितरण में इस अनदेखी से उन्हें और अन्य वैध वारिसों को नुकसान होगा।
गौरतलब है कि यह मामला प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गया है। एक ओर मुआवजा वितरण को सही तरीके से निपटाना आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर वैध वारिसों के हितों की रक्षा करना भी जरूरी है। प्रशासन को इस विवाद का समाधान निकालने के लिए उचित कदम उठाने होंगे ताकि सभी पक्षों के हित सुरक्षित रह सकें।
- यह भी पढ़ें : Krishi Sakhi Yojana: लाडली बहनों के लिए शिवराज सिंह चौहान ने शुरू की नई योजना, इन राज्यों के महिलाओं को मिलेगा लाभ
पुरखों की जमीन पर हक का दावा (Betul News)
गोण्डेलाल ने बताया कि उनके दादा गेन्दा की मृत्यु के बाद उक्त भूमि पर फौती दर्ज नहीं हो पाई थी। वैध वारिसों के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज न होकर किसी अन्य के नाम पर दर्ज हो जाने की जानकारी उन्हें हाल ही में मिली है। यह जानकारी मिलने के बाद वे पुराना रिकॉर्ड सर्च कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि उनकी खानदानी भूमि पर अन्य लोगों के नाम कैसे दर्ज हो गए।
डेम निर्माण में हो रहा मुआवजा वितरण (Betul News)
सरकार द्वारा उक्त खसरा संख्या की भूमि को मेंढा गडवा डेम के निर्माण के लिए अधिग्रहित कर लिया गया है और अब मुआवजा राशि वितरित की जानी है। गोण्डेलाल और उनके अन्य वैध वारिसों का दावा है कि यदि मुआवजा राशि का वितरण बिना सही जानकारी के कर दिया गया तो वे मुआवजा राशि से वंचित रह जाएंगे। (Betul News)
उन्होंने यह भी कहा कि भूमि की वास्तविक सहखातेदारों की जानकारी प्राप्त किए बिना मुआवजा वितरण न्यायहित में अनुचित है। गोण्डेलाल ने एसडीएम से अनुरोध किया है कि मुआवजा राशि का वितरण रोका जाए और उनकी आपत्ति को दर्ज किया जाए। उन्होंने मांग की है कि वास्तविक सहखातेदारों की जानकारी प्राप्त होने तक मुआवजा राशि का वितरण न किया जाए ताकि सभी वैध वारिसों को उनका हक मिल सके। शिकायत करने वालों में मानिक, प्रकाश, आसू आदि शामिल है। (Betul News)