रामायण के अनुसरण से विश्व में आज भी राम राज्य साकार हो सकता है: पं निर्मल कुमार शुक्ल

राम राज्याभिषेक के साथ 9 दिवसीय संगीतमय राम कथा महोत्सव का गरिमापूर्ण समापन

बैतूल। टैगोर वार्ड में राजा ठाकुर के निवास पर चल रही राम कथा महोत्सव का मंगलवार को।विधिवत समापन हो गया। 9 दिनों तक मानस महारथी पं.निर्मल कुमार शुक्ल ने राम चरित मानस के 84 प्रसंगों पर प्रकाश डाला। विश्राम दिवस में महराज श्री ने सुंदर काण्ड में वर्णित हनुमान चरित्र, लंका दहन, रावण कुंभकर्ण मेघनाद वध, आदि कथाओं का निरूपण किया। राम राज्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का राज्य संपूर्ण विश्व का आदर्श राज्य है। आज जब आदर्श राजा की चर्चा उठती है तो भगवान राम का नाम ही सर्वोपरि रहता है। राम राज्य बहुमत से नहीं बल्कि सर्व मत से चलता है। भगवान राम ने एक धोबी के कहने मात्र से अपनी प्राणप्रिया सीता का परित्याग कर दिया और जीवन भर वियोग की अग्नि में झुलसते रहे। उस समय यदि राम चाहते तो धोबी के ऊपर राजद्रोह का अभियोग लगाकर उसे प्राणदंड भी दे सकते थे। अपनी प्रजा के रंजन के लिए भगवान श्री राम ने स्वयं जहर पीना स्वीकार किया अगर राजदंड द्वारा उस समय उसे दंड दिया गया होता तो उसका दुष्परिणाम यह होता कि समाज में चोरी छिपे राम विरोधी वातावरण का निर्माण होता और धोबी सहानुभूति का पात्र बन जाता। महराज श्री ने कहा कि राम राज्य में कोई दीन दुखी नहीं था कोई अशिक्षित नहीं था सब परस्पर प्रेम करते थे, बादल लोगों के मांगने पर जल बरसाते थे। राम राज्य में स्त्रियां पूर्णत पतिव्रता धर्म का पालन करती थीं। राम के पूर्व इस वंश के राजा अनेकों विवाह करते थे यहां तक कि राजा दशरथ ने भी 3 विवाह किया था किन्तु भगवान राम ने ऐसा नियम बनाए कि हर पुरुष भी स्त्री व्रत का पालन करता था। दोनों पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति समर्पित रहते थे। राम राज्य में शत प्रतिशत साक्षरता थी। दंड नामक वस्तु केवल संन्यासियों के पास दंड या त्रिदंड के रूप में मिलती थी इसलिए न किसी का किसी से वैर विरोध था कोर्ट कचहरी समाप्त हो गये थे। राजा ठाकुर और अरुण सिंह किलेदार ने महराज श्री का स्वागत किया सभी श्रोताओं ने ग्रंथ पूजन किया। समस्त किलेदार व परिहार परिवार ने विशाल संख्या में पधारे हुए श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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