Betul Samachar: बैतूल। बैतूल न्यायालय ने चैक बाउंस के दो अलग-अलग मामलों में आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया है। सूदखोरों द्वारा अवैध ब्याज वसूली के लिए बनाए गए झूठे मामलों का पर्दाफाश हुआ। दो मामलों में परिवादी ने आरोप लगाया था कि उसने बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए क्रमशः 8 लाख और 5 लाख रुपये आरोपी को दिए थे। जब आरोपी ने बीमा पॉलिसी नहीं दी, तो परिवादी ने अपने पैसे वापस मांगे। इसके जवाब में, आरोपी ने परिवादी को 8 लाख और 5 लाख रुपये के चैक दिए।
जब ये चैक बैंक में प्रस्तुत किए गए, तो स्टॉप पेमेंट और अपर्याप्त राशि के कारण चैक बाउंस हो गए। इस पर परिवादी ने आरोपी को चैक बाउंस का नोटिस दिया। परिवादी ने दावा किया कि उसने ट्रैक्टर-ट्राली बेचकर और रिश्तेदारों से उधार लेकर बीमा पॉलिसी के लिए पैसे दिए थे। लेकिन न्यायालय ने इस दावे को अविश्वसनीय मानते हुए खारिज कर दिया।
Betul Samachar: चैक बाउंस के दो मामलों में बड़ा फैसला: आरोपी बाइज्जत बरी, सूदखोरों को झटका
आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे युवा अधिवक्ता उमेश कुमार गुहारिया ने अपने कुशल प्रतिपरीक्षण और तर्क कौशल से आरोपी को अवैध राशि की वसूली से बचाया। श्री गुहारिया ने न्यायालय में तर्क दिया कि आरोपी ने किसी विधिक ऋण या दायित्व से उन्मोचित होने के लिए चैक नहीं दिए थे और उसका परिवादी से कोई लेन-देन नहीं था। परिवादी द्वारा प्रस्तुत मामला झूठा था। न्यायालय ने श्री गुहारिया के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला चैक बाउंस के मामलों में सही सबूत और साक्ष्य के महत्व को दर्शाता है। न्यायालय ने कहा कि सिर्फ आरोप लगाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सही सबूत और साक्ष्य पेश करना आवश्यक है। न्यायालय का यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में झूठे मामलों के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।
चैक बाउंस के मामलों की तकनीकीता
श्री गुहारिया ने बताया कि चैक बाउंस का मामला पूर्णतः तकनीकी मामला है और कानून परिवादी के पक्ष में उपधारणा करता है। ऐसे मामलों में आरोपी को चैक बाउंस का नोटिस मिलते ही अपने अधिवक्ता से मिलकर जवाब देना चाहिए और भूमिका निर्मित करनी चाहिए, जिसका लाभ न्यायालय के विचारण के दौरान प्राप्त होता है।
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सूदखोरों के लिए चेतावनी
यह फैसला सूदखोरों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है कि झूठे मामलों के जरिए अवैध ब्याज वसूली करने की उनकी कोशिशें सफल नहीं होंगी। न्यायालय ने इस निर्णय के जरिए साफ संदेश दिया है कि न्यायिक प्रक्रिया में झूठे मामलों की कोई जगह नहीं है। इस फैसले ने आरोपी को राहत देने के साथ ही न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को भी मजबूत किया है।