Betul Ki khabar: प्राचार्य की मनमानी से स्कूल के बच्चों की मुसीबतें बढ़ीं, स्कूल में बच्चों को कीचड़ भरे मैदान से होकर जाना पड़ रहा

Betul Ki khabar: बैतूल। ग्राम पंचायत हिवरखेड में शासकीय हाई सेकंडरी स्कूल के प्राचार्य के फैसले ने स्कूल जाने वाले बच्चों और स्थानीय लोगों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। प्राचार्य की सहमति से स्कूल के मुख्य सीसी रोड पर बाउंड्री वॉल बना दी गई है, जिससे बच्चों को अब कीचड़ भरे मैदान से होकर स्कूल जाना पड़ रहा है। बच्चों और उनके अभिभावकों ने हाल ही में जिला पंचायत सदस्य उर्मिला गव्हाड़े से मुलाकात कर अपनी समस्याएं साझा कीं।

दरअसल, स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को एक कांक्रीट मार्ग का उपयोग करना पड़ता था, जो सीधे मुख्य मार्ग से जुड़ा हुआ था। लेकिन स्कूल के प्राचार्य चौधरी की सहमति से इस मार्ग पर बाउंड्री वॉल बना दी गई, जिससे अब बच्चों को लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है।

इस नई व्यवस्था के कारण बच्चों को अब कीचड़ भरे मैदान से गुजरना पड़ता है, जो बारिश के मौसम में और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस स्थिति से परेशान बच्चों और उनके अभिभावकों ने जिला पंचायत सदस्य उर्मिला गव्हाड़े से शिकायत की, जिसके बाद उन्होंने 13 अगस्त को मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया।

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Betul Ki khabar: प्राचार्य की मनमानी से स्कूल के बच्चों की मुसीबतें बढ़ीं, स्कूल में बच्चों को कीचड़ भरे मैदान से होकर जाना पड़ रहा

जिला पंचायत सदस्य उर्मिला गव्हाड़े और ग्राम पंचायत हिवरखेड की उपसरपंच डॉ. मीना गव्हाड़े ने निर्माणाधीन बाउंड्री वॉल की गुणवत्ता की भी जांच की। उन्होंने मौके पर उपस्थित कर्मचारियों से बाउंड्री वॉल के निर्माण की गुणवत्ता और इसके औचित्य पर सवाल उठाए। उर्मिला गव्हाड़े ने बताया कि स्कूल के बच्चों को हो रही इस असुविधा के बारे में उन्होंने जनपद प्रभात पट्टन के सीईओ से भी चर्चा की, लेकिन उन्हें बताया गया कि प्राचार्य चौधरी ने लिखित में रास्ता नहीं खोलने का निर्देश दिया है।

सीईओ ने प्राचार्य से बातचीत के बाद जल्द ही इस समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है। लेकिन तब तक बच्चों और स्थानीय निवासियों को इस असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। प्राचार्य की इस तानाशाही रवैये ने स्कूल आने-जाने वाले सभी लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि प्राचार्य को बच्चों की सुविधा और सुरक्षा का ख्याल रखते हुए निर्णय लेने चाहिए। प्राचार्य द्वारा किए गए इस निर्णय की निंदा करते हुए उन्होंने जल्द से जल्द रास्ता खुलवाने की मांग की है, ताकि बच्चों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

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