Betul Samachar: बैतूल। चार माह के अंदर ही टूटने और बर्बाद होने वाली सड़कों को लेकर जिला कांग्रेस अध्यक्ष हेमंत वागद्रे का कहना है कि इसके लिए ठेकेदार और इंजीनियर सहित अन्य अधिकारी ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार है। उनका कहना है कि शासन से स्वत: स्वीकृत विकास कार्यों का क्रेडिट लेने के लिए दौड़ पड़ने वाले सांसद और विधायक क्या इन बर्बाद होती सड़कों का के्रडिट लेंगे?
उनका कहना है कि पिछले दस वर्षों का ही ट्रेक रिकार्ड उठाकर देख लिया जाए तो शहर की कुछ प्रमुख सड़कें तो ऐसी है जो हर वर्ष बनती है और हर वर्ष बर्बाद होती है। उनका कहना है कि इन सड़कों पर अब तक करोड़ों रुपए फंूका जा चुका है, लेकिन सड़कों की हालत बदत्तर ही है।
उन्होंने बताया कि लल्ली चौक से थाना चौक की सड़क, गंज क्षेत्र में मेकनिक चौक से आबकारी के सामने की सड़क, कारगिल चौक से अंबेडकर चौक की सड़क, अंबेडकर चौक से गंज थाने के सामने की सड़क आदि प्रमुख सड़कें है, जिन पर हर वर्ष रिनीवल कोट कराया जाता है या पेंचवर्क कराया जाता है। इसके बावजूद यह सड़कें उखड़ जाती है, इनमें गड्ढें हो जाते हैं। उनका कहना है कि रोड कांग्रेस के पैरामीटर को ताक पर रखकर सड़कें बनाई जाती है।
इसलिए डामर सड़कों की यह हालत होती है। उनका कहना है कि इस तरह घटिया सड़कें बनने से केवल कमीशनबाजी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उनका कहना है कि सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि निर्माण कार्य की शुरुआत में तो बार-बार ऐसे विजिट करने जाते हैं जैसे वे स्वंय इंजीनियर है, उन्हें सब समझता है। यदि उन्हें सब समझता है और इंजीनियरिंग आती है तो बारिश शुरू होने के पहले बनी मुल्ला पेट्रोल पंप से लेकर बसस्टैंड तक बनी सड़क क्यों उखड़ना शुरू हो गई है और क्यों उसमें गड्ढें हो रहे हैं।
उनका कहना है कि सड़कें बनाने के लिए जो तकनीकी मापदंड है उसे दरकिनार किया जाता है, जैसे डामर सड़क पर पानी नहीं रूकना चाहिए, लेकिन डिजाइन ऐसी रहती है कि बारिश का पानी सड़क पर रूकता है और सड़क टूटना शुरू हो जाती है। उन्होंने आगे कहा कि जब पता है कि जिन सड़कों पर पिछले दस वर्ष में हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च डामर की ही सड़क बनाई जा रही है और वह टिक नहीं रही है तो उन सड़कों पर सीमेंट कांक्रीट की सड़क क्यों नहीं बनाई जाती है?
उनका कहना है कि सड़कों के साथ ड्रेनेज का होना बहुत जरूरी है, लेकिन इस पैरामीटर को नजर अंदाज किया जाता है। इसके उदाहरण हर उखड़ने वाली सड़क पर मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि केवल मुख्य सड़कों का ही मसला नहीं है। वार्डों में जो अंदर गलियों में डामर की सड़कें बनाई जात है, वे भी महीने दो माह में उखड़ना शुरू हो जाती है। उनकी मांग है कि सभी सड़कों की पहले जांच कराई जाए कि वे उखड़ती क्यों है? फिर उन कारणों को दूर करने के बाद ही अब यह सड़कें बनाई जाए।
उनका कहना है कि सड़क निर्माण में जो बेस्ट बिटुमिन उपयोग किया जाना चाहिए, उसकी जगह ठेकेदार पता नही क्या उपयोग करते हैं कि कुछ दिनों बाद ही सड़क का सरफेस टूटना शुरू हो जाता है और जीरो साइज गिट्टी बिखरना शुरू हो जाती है। उनका कहना है कि यह भी जांच का विषय है कि जीरो साइज गिट्टी का उपयोग कैसे और कितना किया जाता है। काम्पेक्शन भी ठीक तरह से नहीं किया जाता है। उन्होंने मांग की है कि जो सड़कें साल भर के अंदर टूट गई है, उनमें संबंधित इंजीनियर और ठेकेदार से रिकवरी की जानी चाहिए और उससे फिर नई और बेहतर सड़क बनाई जाना चाहिए।
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