Betul Ki Khabar: मुहिम जिंदगी बचाने की: एक फोन पर जुटे दर्जनों रक्तदाता
Betul Ki Khabar: Campaign to save lives: Dozens of blood donors gathered on one phone
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मुलताई, सारणी, खेड़ी कोर्ट और जुनावानी से आए रक्तदाताओं ने दिखाया मानवता का उदाहरण
Betul Ki Khabar: बैतूल। गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर जिला चिकित्सालय में भर्ती गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए एक मुहिम ने चमत्कार दिखाया। ‘जिंदगी बचाने की सार्थक पहल’ के तहत आधा दर्जन से अधिक रक्तदाताओं ने अपने सभी काम छोड़कर बैतूल में रक्तदान किया।
जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों में से एक का हिमोग्लोबिन मात्र एक ग्राम था और उसे लगातार रक्तस्राव हो रहा था। साथ ही थेलेसिमिया से पीड़ित मासूम बच्चों को भी रक्त की जरूरत थी। इस कठिन समय में मां शारदा सहायता समिति के जिला उपाध्यक्ष प्रकाश बंजारे और संस्थापक शैलेंद्र बिहारिया के अनुरोध पर मुलताई, सारणी, खेड़ीकोर्ट और जुनावानी से रक्तदाता तत्काल पहुंचे।
ओ नेगेटिव रक्त की आपूर्ति की
ज्ञानप्रकाश अमरुते 40 किलोमीटर दूर जुनावानी से ओ नेगेटिव रक्त देने पहुंचे। समाजसेवी अजय सोनी भी रात के समय 50 किलोमीटर दूर सारणी से आए। मासूम वैष्णवी के लिए ओ नेगेटिव रक्त की आवश्यकता पर मुलताई से भानुप्रताप चंदेलकर 50 किलोमीटर की यात्रा कर बैतूल पहुंचे, जबकि रामचंद्र मंडलेकर खेड़ी कोर्ट से 40 किलोमीटर दूर से आए।
जन्मदिन पर विशेष उपहार
डॉक्टर गणपति बिनझाड़े ने अपनी बिटिया के जन्मदिन पर पार्टी समारोह न करते हुए रक्तदान कर इस दिन को खास बनाया। भोपाल से विपिन भी ओ नेगेटिव रक्त देने के लिए तैयार थे। इस अवसर पर समाजसेवी और संस्था के संरक्षक पंजाबराव गायकवाड़, कार्यकारी अध्यक्ष हिमांशु सोनी, जिला ब्लड बैंक के राजेश बोरखड़े और मुकेश कुमरे भी उपस्थित थे। शैलेंद्र बिहारिया और प्रकाश बंजारे ने कहा, रक्तदान करने का अर्थ है किसी को जीवनदान देना। रक्त न किसी दुकान में मिलता है, न किसी पेड़ पर उगता है। न कोई इसे लैब में बना सकता है। सिर्फ एक मनुष्य ही दूसरे मनुष्य को जीवनदान दे सकता है।
सिद्धार्थ बिहारिया का सातवीं बार रक्तदान
सिद्धार्थ बिहारिया ने इस मौके पर सातवीं बार रक्तदान किया, जो सभी के लिए प्रेरणास्रोत बन गया। इस मुहिम ने यह साबित कर दिया कि जब समाज में जागरूकता और मानवता का जज्बा हो तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
रक्तदान की आवश्यकता और जागरूकता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल मरीजों को 5 करोड़ यूनिट खून की जरूरत पड़ती है, जबकि उपलब्ध खून सिर्फ 2.5 करोड़ यूनिट ही है। हर दो सेकेंड पर देश में किसी को खून की जरूरत होती है। हर दिन 38,000 से ज्यादा लोगों को ब्लड डोनेशन की जरूरत पड़ती है। देश में हर साल 10 लाख से ज्यादा नए कैंसर मरीज आते हैं जिन्हें खून की जरूरत पड़ती है। अगर किसी का गंभीर कार एक्सीडेंट हो जाए तो उसे अधिक यूनिट खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है।