सामूहिक विवाह के पहले टेंट निविदा में गड़बड़ी उजागर, 50 लाख टर्नओवर की शर्त पर बवाल

विशेष फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए की गई पूरी प्रक्रिया

आरटीआई संगठन ने लगाए पक्षपात के आरोप, मांगी जांच रिपोर्ट की प्रति
3 वर्ष की जगह जानबूझकर 1 वर्ष का मांगा जीएसटी और आयकर रिटर्न
Betul Mirror: कन्यादान योजना के अंतर्गत आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम में टेंट हाउस की निविदा को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत के जिला संगठन मंत्री कन्हैयालाल चौकीकर ने कलेक्टर से शिकायत कर इस पूरी प्रक्रिया में पक्षपात का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि जनपद पंचायत बैतूल द्वारा निकाली गई निविदा में ऐसी शर्तें रखी गईं जिससे अधिकांश स्थानीय टेंट संचालक निविदा प्रक्रिया से बाहर हो गए। कन्हैयालाल चौकीकर ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया कि बैतूल के सामूहिक विवाह की निविदा में जानबूझकर 1 वर्ष का 50 लाख रुपये वार्षिक टर्नओवर मांगा गया, जबकि बैतूल जिले में जितने भी सामूहिक विवाह कार्यक्रम होते हैं, वहां इतना टर्नओवर नहीं मांगा गया है।इतना ही नहीं, निविदा में जीएसटी प्रमाणपत्र मात्र एक वर्ष का मांगा गया जबकि सामान्यतः तीन वर्षों का जीएसटी और 3 वर्ष का आयकर रिटर्न मांगा जाता है। लेकिन बैतूल में जानबूझकर 1 वर्ष का मांगा गया है। चौकीकर का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया एक विशेष फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए की गई, जबकि उस फर्म पर जीएसटी कार्यपालन भोपाल में मामला लंबित है। चौकीकर ने आरोप लगाया कि निविदा में सिर्फ 5-6 सामग्री ही दर्शाई गई जबकि टेंट हाउस में लगभग 30-40 प्रकार की सामग्री होती है। जिन वस्तुओं को निविदा में नहीं लिखा गया, उनके बिल बाद में ऊंचे दामों पर बनाए जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राउंड सीलिंग की जगह डूम के रेट में भुगतान होता है, स्टील सोफा लगाकर वीआईपी का भुगतान किया जाता है और चटाई बिछाकर कालीन के रेट में बिल बनाया जाता है।
शिकायत की कोई सुनवाई ही न हो इसलिए चार दिन पहले खोली निविदा
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में भी जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को आवेदन देकर इन तमाम अनियमितताओं से अवगत कराया गया था, लेकिन कोई जांच नहीं की गई। सामूहिक विवाह की तारीख पहले से तय थी, फिर भी निविदा केवल कार्यक्रम के चार दिन पहले खोली गई ताकि किसी शिकायत की कोई सुनवाई ही न हो सके। कन्हैया लाल चौकीकर ने सवाल उठाया कि यदि निविदा की शर्तों में विवाह तिथि से दो दिन पूर्व सामग्री स्थल पर पहुंचाना अनिवार्य है, तो क्या उस दो दिन की पेमेंट भी की जाएगी? उन्होंने यह भी मांग की कि पूरी निविदा प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए और समिति के सभी जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में निविदा खोली जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे। अंत में उन्होंने निवेदन किया कि उनके द्वारा दिए गए आवेदन की निष्पक्ष जांच कराई जाए और वर्तमान में जो टेंट सामग्री स्थल पर पहुंचाई जा रही है, उसकी भी जांच कर रिपोर्ट की प्रति उन्हें उपलब्ध कराई जाए। चौकीकर ने कहा कि यह मामला निविदा में गड़बड़ी के साथ शासकीय योजनाओं में पारदर्शिता और आमजनों के अधिकारों से जुड़ा है।
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