चुनावी चेकिंग में पकड़ी गई इंद्री व्हिस्की के प्रकरण में आरोपी दोषमुक्त

अधिवक्ता कलश दीक्षित की प्रभावी पैरवी से मिला अभियुक्त को न्याय

40 लाख रुपए की जब्त शराब पर न्यायालय ने सुनाया फैसला

Betul Today News: विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान चेकिंग के तहत पकड़े गए इंद्री सिंगल माल्ट व्हिस्की के मामले में न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है। पिक्काडेली कंपनी की यह इंद्री सिंगल माल्ट व्हिस्की खंडवा-बैतूल मार्ग पर थाना मोहदा क्षेत्र में ग्राम देसली स्थित चेकिंग नाके से पकड़ी गई थी, जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपए आंकी गई थी। 

पुलिस ने मालवाहक वाहन से भारी मात्रा में शराब जब्त करते हुए आरोपी चालक के विरुद्ध मामला दर्ज किया था, लेकिन न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्यों और सुनवाई के बाद आरोपी को दोषमुक्त कर दिया गया। 

मामले में अधिवक्ता कलश दीक्षित ने पैरवी की और न्यायालय ने 16 अप्रैल 2025 को फैसला सुनाते हुए आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। मामला थाना मोहदा क्षेत्र का है, जहां 21 अक्टूबर 2023 को सुबह 9:30 बजे देसली चेकपोस्ट (खंडवा-बैतूल रोड) पर चुनावी जांच के दौरान टाटा कंपनी की योद्धा 1700 सफेद रंग की पिकअप क्रमांक यूपी-15-एफटी-1984 को रोका गया था। 

पुलिस ने वाहन में 405 लीटर (750 एमएल की 90 पेटी) और 45 लीटर (60 एमएल की 5 पेटी) कुल 450 लीटर व्हिस्की पाई थी, जिसे वैध अनुज्ञप्ति के बिना परिवहन का मामला बनाकर जब्त कर लिया गया था। वाहन चालक सोनू पिता बालकिशन को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत अपराध दर्ज किया गया था। प्रकरण में बचाव पक्ष के अधिवक्ता कलश दीक्षित ने अदालत के समक्ष यह दलील रखी कि वाहन चालक के पास शराब परिवहन से संबंधित सभी वैध दस्तावेज मौजूद थे। पुलिस की ओर से भी साक्ष्यों में यह बात स्वीकार की गई कि दस्तावेज हरियाणा और नागपुर के आबकारी विभाग द्वारा जारी किए गए थे और दिनांक 21 अक्टूबर 2023 तक वैध थे। पुलिस ने यह आरोप लगाया था कि वाहन गलत मार्ग से शराब का परिवहन कर रहा था, लेकिन बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि मार्ग में परिवर्तन कोई अपराध नहीं है जब तक कि अनुज्ञप्ति वैध हो। साथ ही, कार्यवाही के दौरान न तो कोई वीडियो रिकॉर्डिंग हुई और न ही कार्यपालक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति दर्ज की गई, जो चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन है।अधिवक्ता कलश दीक्षित ने बताया पुलिस द्वारा प्रस्तुत गवाहों के कथनों में विरोधाभास पाए गए। पंचनामा तैयार करने वाले गवाहों को किसी विधिवत नोटिस के तहत नहीं बुलाया गया था और उनमें से एक घटनास्थल से 10 किमी दूर का निवासी था। साक्ष्य के अभाव, वैध दस्तावेजों की उपलब्धता और प्रक्रियात्मक त्रुटियों के कारण न्यायालय ने आरोपी को दोषमुक्त किया।

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