Betul Samachar: 40-50 वर्षों से वनभूमि पर काबिज, फिर भी नहीं मिला पट्टा

Betul Samachar: बैतूल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के भीमपुर तहसील के ग्राम पलंगा (मोहटा) और महतपुर जावरा के आदिवासी समाज के भूमिहीन कृषकों ने वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत पट्टा न मिलने के कारण अपनी नाराजगी जताई है। इस संबंध में आदिवासी समाज के सद्दू, फगनसिंह, मुंशी, बुद्धसिंह, और दामू ने मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष रामा काकोड़िया के नेतृत्व में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली के अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौंपा है।

ज्ञापन में बताया गया कि बैतूल जिले में हजारों की संख्या में अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन कृषक 40-50 वर्षों से शासकीय वनभूमि पर काबिज होकर कृषि कार्य कर रहे हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। बावजूद इसके, उन्हें वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत पट्टा (भू-स्वामित्व) आज तक जारी नहीं किया गया है। अधिनियम के तहत पट्टा प्राप्त करने के लिए कई दावेदार पात्र हैं, लेकिन उनके दावा प्रकरण विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं।

उदाहरण के तौर पर, भीमपुर ब्लॉक के कई दावेदारों के आवेदन पत्र आयोग के संज्ञान में लाए गए हैं। ज्ञापन में बताया गया कि जिलों में इस कार्य के लिए जनजाति कार्य विभाग नोडल विभाग है, लेकिन सर्वेक्षण का कार्य वन विभाग और राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है, जिससे कार्य में विलंब हो रहा है। ज्ञापन में आग्रह किया गया है कि आयोग पात्रताधारी दावेदारों के लंबित प्रकरणों का शीघ्र निराकरण कराए और वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत पट्टा (भू-स्वामित्व) जारी करने की मांग की गई।

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