Betul News: बैतूल। चिकित्सकीय सुविधा के क्षेत्र में भी आदिवासी बाहुल्य जिला बैतूल दिनों दिन खासी तरक्की कर रहा है। जो उपचार और ऑपरेशन अभी तक भोपाल और नागपुर सहित अन्य महानगरों में भारी भरकम राशि खर्च कर कराने पड़ते थे वह अब बैतूल के अनुभवी डॉक्टरों द्वारा जिले में ही संपन्न किए जा रहे हैं जिससे मरीजों सहित उनके परिजनों को बड़ी मानसिक और आर्थिक राहत मिल रही है। हम बात कर रहे हैं जिले के प्रसिद्ध लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. मनोज अग्रवाल की जिन्होंने दूरबीन पद्धति से हर्निया का पहला सफल ऑपरेशन बैतूल के टिकारी लिंक रोड स्थित अपने मेडिकेयर हास्पिटल में किया है। ऑपरेशन के बाद मरीज पूर्णत: स्वस्थ्य है।
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बैतूल के डॉक्टर ने दूरबीन पद्धति से किया हर्निया का पहला ऑपरेशन
जिले के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि उनके लिंक रोड स्थित मेडिकेयर हास्पिटल में लापाझिरी ग्राम के एक 65 वर्षीय बुजुर्ग आए थे जिन्हें लेफ्ट इंग्वाइनल डायरेक्ट हर्निया का रोग था। बुजुर्ग का दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन किया गया। इसमें बटन के बराबर छेद करके लेजर से पूरा ऑपरेशन किया गया है। यह ऑपरेशन 3 घंटे तक चला जिसके बाद मरीज पूर्णत: स्वस्थ है।
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दोनों ऑपरेशनों में है बड़ा अंतर (Betul News)
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अभी तक हर्निया का ऑपरेशन 6-8 सेंटीमीटर का गहरा चीरा लगाकर किया जाता था जो कि थ्री लेयर तक नीचे जाता है। इसके बाद ऑपरेशन होता था। लेकिन दूरबीन पद्धति में लेजर से ऑपरेशन किया जाता है जिसमें कोई अंदरूनी मांसपेशियों में कोई चीरा नहीं लगाना पड़ता है। दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन में मरीज की मांसपेशियों में 72 घंटे के बाद रिकवरी हो जाती है और व 2 से तीन माह घाव लगभग पूरी तरह ठीक हो जाता है। जबकि चीरा वाले ऑपरेशन में 80 प्रतिशत रिकवर होने में 6 माह तक का समय लग जाता है। इसके साथ ही दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन की खास बात यह होती है कि इसमें ऑपरेशन के बाद भी शरीर की (एब्डॉमिनल वॉल) प्राकृतिक बनावट यथावत रहती है। (Betul News)
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बैतूल के लिए है बड़ी सौगात (Betul News)
मेडिकेयर हास्पिटल के संचालक लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. मनोज अग्रवाल ने जिले को एक बड़ी सौगात दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन की दी है। इस पद्धति के ऑपरेशन का उन्हें लंबा अनुभव है। अब तक वह इस दूरबीन पद्धति से 5 सैकड़ा से अधिक ऑपरेशन कर चुके हैं। टोटल लेजर व चीरा पद्धति मिलाकर 5000 से अधिक ऑपरेशन कर चुके हैं। वे 2013 से सर्जन के रूप में कार्य कर रहे हैं। डॉ. मनोज अग्रवाल ने भगवान महावीर शासकीय हास्पिटल पीथमपुरा दिल्ली से लेप्रोस्कोपिक सर्जन की 3 साल की ट्रैनिंग ली थी। (Betul News)
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खर्च में आता है बड़ा अंतर (Betul News)
बैतूल से बाहर इस पद्धति से ऑपरेशन कराने में 1 से डेढ़ लाख रुपए तक का खर्च आता है। वहीं बैतूल में 30 से 40 हजार रुपए खर्च कर यह ऑपरेशन हो जाता है। इसके साथ ही मरीज और परिजनों को बाहर ऑपरेशन कराने के दौरान होने वाली आर्थिक और मानसिक परेशानियों से भी निजात मिल जाती है। वहीं दूरबीन पद्धति से किए गए ऑपरेशन के बाद बीमारी फिर से होने के चांस 1 प्रतिशत से कम होते हैं। (Betul News)